Posts

Showing posts from April, 2016

रिश्वत

किसी आदमी को पहचान ने के लिए बस उस के कपडे मत देखो/ देखो उसके दिल को और समजो / जब मैंने शराफत से काम करता ता तो तब कोई मुझे देखता बी नयी ते/ लोग हस के जाते ते / जब पैसे पूछने गया तो दमकी देते हो क्या? कौन सी शराफत  / जब मैं रिश्वत लेने के लिए मन किया ता तब तुम ने मेरे ऊपर रिश्वत का दोष लगाया आज कुछ हइसा है की मैं रिश्वत लेना शुरू कर दिया/ मेरा जो इमाम धर्म ते पूरे को यह रिशवथदार लोगो ने मार दिया/